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बस चाय तक ! सीझन 2, भाग-5, नोन स्टोप राइटिंग चेलेंज भाग-8

बस चाय तक S2 P5  04/06/2022

शादी के लड्डु


हेल्लो पढनेवालो.......(सोरी, लिखनेवाले पढते नही है...इसिलिये उन को याद नही करता ह....ह....ह.... गुस्सा न करो लिखनेवालो....मै हमेशा सच बोलता हु....अगर इस वक़्त लिख रहे हो तो थोडे ही पढनेवाले हो! और अगर पढकर गुस्सा आ गया की मैने आप को याद नही किया तो फिर से उपर पढ लो....मैने पढनेवालो को तो याद किया है न....और इस वक़्त आप लिख नही रहे हो मतलब पढनेवालो मे से हो....। हो गइ तसल्ली ? तो मै आगे बढु ?)

अब आते है इस लेख के शिर्षक... टाइटल पर....अब आप मे से जिस की शादी हो गइ होगी उसे इन लेख मे से कुछ नही मिलनेवाला....लेकिन वो क्या है अगर पढोगे तो इतनी देर तक होमवर्क से मुक्ति मिल सकती है। (होमवर्क समज रहे हो ना !) तो पढियेगा जरुर और जिन की शादी होनेवाली है वो जरुर पढे....क्युकी कुछ टिप्स मिल जायेगी....और जिन की शादी नही हुइ है....वो जरुर पढे क्युकी शास्त्र मे कहा गया है शादी के लड्डु खाये वो भी पछताये और न खाये वो भी पछताये। (शास्त्र का नाम याद नही आ रहा....जब तक चाय खत्म हो जायेगी तब तक शायद नाम याद आ जायेगा तो लिख लेंगे) तो खाकर ही क्यु न पछताये ?

हा, तो दोस्तो क्या है की ‘शादी’ बडी अच्छी बात होती है। हा वैसे अभी तो वेकेशन चल रहा है ना....रहने दो ज्यादा खुश ना हो जाओ क्युकी वेधर डीपार्टमेंट ने अभी अभी सुचना जाहिर की है की ‘मायके गये हुवे बादल कुछ ही दिनो मे गरजने और बरसने वाले है...’

वैसे अगर सही उम्र मे शादी बन जाये तो उस से बेहतर कुछ नही होता, लेकिन कभी कभी किस्मत इतना घुमाती है की बात न करो । वैसे ही एक मेरा दोस्त है....बडी मुश्किल से शादी कर पाया था। करीब 42 साल लगे थे इसे एवरेस्ट सर करने मे (मतलब शादी होने मे)

हुवा क्या था की एक तो हट्टाकट्टा था तो वैसे भी कोइ उसे पसन्द नही करता था । बडी मुश्किल से एक गाव वाली कन्या ने हा बोली। अब आज कल तो जमाना है ना की शादी से पहले कन्या अपने ससुराल जा सकती है। वैसे हम दोस्त का एक अच्छा सा नाम लगा लेते है....वैसे तो उन की फुफी ने नाम दिया था....’राकेश’.....लेकिन हम सब उसे ‘रींकी’ ही बुलाते थे (क्युकी आवाज पतली जो थी....हा मगर वो जब हमारे साथ न हो तब ही रींकी बुलाते थे..वो क्या है की हम सब दोस्त ठेहरे पतले और वो था हथोडे जैसा...अब हम सब अहिंसक जो ठेहरे इसिलिये....वैसे आप सब समजदार है...असली बात समज ही गये होंगे...|)

अब सगाइ होनेवाली थी उस के पहले वो गाववाली लडकी अपने ससुराल (मतलब होनेवाला ससुराल.....) आइ। दोपहर को जब रसोइघर मे रसोइ बन रही थी तो ये कन्या चली गइ कीचन मे और अपनी होनेवाली सास और ननंद को बोलने लगी की मै हेल्प कर देती हु। सब ने बहुत समजाया की अभी रहने दो लेकिन अब कन्या को तो ससुराल मे सब का दिल जीतना होता है न....बैठ गइ रोटी बनाने.....45 मिनिट मे बहनजी (मेरी तो बिल्कुल नही) ने 70 रोटी बना दी लेकिन बाहर से कोइ रुकने का नाम ही नही ले रहा था....ये थकी...दुसरो को तो कुछ नही बोल सकती थी लेकिन छोटी बहन को पकडा और बोली,”बाहर कितने लोग खाने पे बैठे है?”

बहन बोली,”अभी तो कोइ बैठा ही नही।“

”तो इतनी सारी रोटिया तो बाहर जा रही है।“

”वो तो मेरे भैया अकेले ही खा रहे है।“

”है ! ये कौन से तुम्हारे भैया है ?” वो कन्या अपना पसीना पौछते हुवे बोल उठी।

”वही जिन के साथ आप की शादी होनेवाली है।“

कन्या उठी और अपने हाथ वोशबेसिन मे धोये और बोली,”तो आज से तेरे भैया मेरे भी भैया।“

बस होनेवाला रिश्ता वही तुट गया।

ये हादसा होने के बावजुद रिंकी मे कुछ बदलाव नही आया। अभी भी वो खाना उतना ही खाता है। एक बुरी आदत रिंकी को ये है की शादी की मौसम मे कही भी शुट बुट पहन के चला जाता है और आराम से खाना खा लेता है। और इतना टीप टोप होकर जाता है की लडकी वालो को लगेगा की लडकेवालो की तरफ से है और लडकेवालो को लगेगा की लडकीवालो की ओर से है....और तब तक तो वो खाना खाकर नीकल लेता है।

परंतु रिंकी को तकलीफ हुइ लोकडाउन पर। अब सरकार ने नियम बना दिया की शादी मे दोनो ओर से केवल 50-50 मेहमान ही आ सकते है। हुवा ये की एक जगह पर कन्या और वर दोनो के पिताजी फंकशन के दरवाजे पर ही मेहमानो की लिस्ट लेकर खडे हो गये की 50-50 लोग ही आ सके। और रिंकी पहुच गया उस फंक्शन मे। दोनो के बाप ने आमने सामने देखा और आख ही आख मे बाते हो गइ की ये हमारा मेहमान नही है। इसिलिये पहले कन्या के बाप ने पुछा की भाइसाहब आप कौन है और शादी का इंवीटेशन कार्ड दिखाइये। पहले तो गभराये हुए रींकी ने अपने मन मे सरकार के लिये गालियो का शब्दकोष खाली कर दिया। लेकिन फिर मुजे फोन किया की भाइ अब इधर फस गया हु। अब मेरा तो मन ही कुछ अच्छा है न....शोले के अमिताभ जैसा तो नही कर सकता ना। इसिलिये मैने फोन पर कुछ बाते बताइ और उसे हिम्मत आ गइ। अपना गला साफ किया और रुआब से बोला,”हमारे पास कार्ड नही है।“

अब वर का बाप बोला,”तो तुम आये किस ओर से हो ?”

लेकिन इतने मे रींकी दोनो के बाप को हल्के से धक्का दिया और अन्दर जाकर 1, 2, 3 ऐसे मेहमानो को गीन ने लगा। दोनो के बाप को हैरानी हुइ और दौडकर अन्दर आये और साथ मे ही बोल पडे,”अरे, कमीने तु है कौन?”

रिंकी रुआब से बोला,” हम सरकारी अफ्सर है और इंस्पेक्शन करने आये है की कितने मेहमान आये हुवे है....कही ज्यादा तो नही वरना जेल हो सकती है।“

बस फिर क्या था। दोनो समधी ने हाथ पैर जोडे और टेबल कुर्सी लगाकर रींकी को खाना खीलाया और 10 हजार का कवर भी दिया। और ये बेशरम कवर लेकर आइसक्रीम खाने के बाद ही नीकला फंक्शन से।

वैसे हमारा रींकी है बडा भोला भाला सा। इसिलिये वो लडकी भले भाग गइ लेकिन वो मेहनत करने से नही डरा। ट्राय एंड ट्राय अगेइन, सक्सेस विल डेफिनेट्ली कम....इस नाते रींकी फिर से देखने लगा रिश्ते पे रिश्ते....। हो गया एक दिन उस का भी कल्य़ाण। लेकिन इस बार घरवालो ने होनेवाली बहु को कभी घर बुलाया ही नही और डाइरेक्ट मंगनी तय हो ही गइ। वैसे रिंकी हर एक बात हम से शेयर जरुर करता था और नही कर पाता था वो हम उसे गुस्सा दिलाकर पता कर ही लेते थे (आखिर दोस्त होते ही इस लिये है न...हमे भी तो पोइंट चाहिये होता है की दोस्त कीस विषय मे हम से दो कदम पीछे रहे)।

अभी तो सगाइ भी नही हुइ थी और रिंकी ने अपनी होनेवाली को मोबाइल गिफ्ट कर दिया (वैसे आजकल ये आम बात हो गइ है....गेहना, कपडा मे इंटरेस्ट नही बस मोबाइल किस कम्पनी का और कौन सा मोडेल दिया जाता है उसी पे ध्यान रहता है। हमारे यहा ऐसे दो कांड अभी अभी हो गये की लडकी की दोस्त ने लडके को फोन कर दिया की आप कैसे आदमी हो अपनी होनेवाली पत्नी को आइफोन क्यु नही दिया। वो तो बात बडो तक पहुची तो रिश्ता ही तुट गया (21वी सदी के जो ठेहरे)।

बस फिर क्या था दिन मे 10-12 बार दोनो लगे रहते थे फोन पर। रींकी बिलकुल सीधा सादा सा था और हम सब ठेहरे....(रहने दीजीये हम खुद की प्रशंसा क्यु करे ?)। कभी कभी हमारी मेहफिल जमती है तो शेर शायरी का दौर भी चलता रहता है। वैसे रींकी को कुछ आता नही लेकिन अब मंगनी तय हो गइ थी तो भाइसाहब को जोश चडा हुवा था। एक दिन हम सब दोस्त बैठे हुवे थे और आकर बोला,”दोस्तो कुछ शेर शायरी सिखाओ यारो...मेरीवाली को पसंद है और साला मुजे कुछ आता नही।“

हमने बहुत समजाया की भाइ ये सब तेरे बस की बात नही है। लेकिन नही माना। फिर मैने कुछ बाते बताइ की भाइ ऐसे शेर शायरी या अच्छी बाते बताइ जा सकती है। अब मुजे क्या पता था की ये साला इस विषय का क्या उपयोग करेगा?

एक दिन रात को रींकी को फोन मे मेसेज आया,”क्या कर रहे हो मेरे बाबु, मेरे सोना।“

ये रींकी भडका और मेसेज मे पुछा,”मेरा नाम तो राकेश है...ये बाबु सोना कौन है?”

सामने से जवाब आया,”अरे बुध्धु मेरे बाबु सोना तुम ही हो।“

लेकिन ये माना नही और बहस करने लगा। फिर लडकी थक गइ तो बात चेंज कर ली और लिखा,”छोडो जानम, बताओ तुम पुरा दिन क्या क्या करते रह्ते हो?”

अब भाइ साहब को शायरी लिखना सुजा और मैने जो सिखाने के लिये बात बताइ थी वो सारा मेसेज फोन मे लिख दिया.....

’जब रात को तेरी याद मे सोता हु तो सुबह ‘किरन’ जगाती है....सुबह नहाकर ‘प्रार्थना’....’भगवती’ के सामने बैठकर, हाथो मे ‘गीता’....और अपने लाइफ की ‘भूमिका’ देखता हु। बाजुवाले की ‘प्रेरणा’ से कसरत सीखता हु, मन मे ‘श्रध्धा’ है इसिलिये दो बार का खाना मिल जाता है। और अगर भुख लगी हो तो कीसी की ‘क्रुपा-द्रष्टी’ मिल जाये। जब तक तु जीवन मे नही थी तब तक पडौशी की ‘ममता’ और ‘महीमा’ तो थी ही। कभी कभी आजुबाजु वाले की ‘खुश्बू’ से भी चल जाता और कभी ‘रुची’ न हो तो खाउ भी नही। दोपहर बील्डिंग की ‘छाया’ मे बैठता हु और पुरा दिन ‘कल्पना’ के साथ बीताता रहता हु। आज तो ‘अभिलाशा’ यह भी है की टीवी मे देखु। कभी बचपन की ‘कविता’ याद आ जाती है, कभी बारिश हुइ तो ‘बिन्दु’ के साथ नहाउ, ‘ज़ंखना’ तो बहुत सी है परंतु कीतनी पुरी हो सकती। घर के पीछे आंगन मे ‘लता’ है उसे तो देखने का मजा ही कुछ ओर है। ‘प्रार्थना’ करता हु और शाम को फिर से ‘संध्या’ और ‘आरती’। मुश्किल से शाम ढलती है फिर ‘चांदनी’ के साथ सोना तब ‘सपना’ आये। बस यु ही दिन काटता रहता हु।‘

ये इतना बडा मेसेज डाला और व्होट्स एप मे रींकी ने दो ब्ल्यु लाइन देखी और 2 मिनिट के बाद रींकी ब्लोक्ड। दुसरे दिन तो लडकीवालो की ओर से ‘ना’ भी आ गइ। लडकी भी गइ और फोन भी गया।

अब उस दिन से लेकर रींकी मेरे साथ दो महिने तक बोला नही। मुजे पता भी नही चला की हुवा क्या था ? (आप ही बोलो मेरा क्या दोष हे ?)।

अब रींकी फिर से अकेला हो गया था। एक दिन हम सब उन के घर बैठे हुवे थे और अचानक एक कुत्ता आकर बाहर बैठ गया। रींकी को कुत्ते कुछ ज्यादा ही पसंद थे (यहा सही मे कुत्ता समजना...दोस्त नही, ओके !)। रींकी ने देखा कुत्ते के गले मे पट्टा है और हट्टाकट्टा सा दिखता था (बोले तो कुत्ता.... भी)। रींकी का मुह देखकर ही कुत्ता घर मे चला आया और सोफे के पास सो गया। कुछ एक घंटे की नीन्द के बाद कुत्ता वापस चला गया। ऐसा चार-पाच दिन चलता रहा। रींकी तो कुछ नही बोला...लेकिन मैने रींकी को बोला,”यार ये कुत्ता कीसी अच्छे घर से ताल्लुक रखता लगता है। हमे देखना चाहिये की किस का है और यहा बार बार क्यु आता है?”

अब रींकी को पसंद नही था की मै ज्यादा बीच मे पडु इसिलिये मैने एक चिठ्ठी लिखी....’आप का कुत्ता अच्छे घर का लगता है। रोज एक ही वक़्त पर यहा आकर सो जाता है। चक्कर क्या है ? ये मै जान ना चाहता हु।“ और चिठ्ठी मैने कुत्ते के पट्टे मे बान्ध दी। दुसरे दिन फिर अपने वक़्त पर कुत्ता आया....उस के पट्टे मे एक चिठ्ठी देखी तो मैने निकाली और पढी,”ये हमारा कुत्ता है...मेरा नाम कांतिलाल है। मेरी बीवी की जुबान ही कुछ ऐसी है की सारा दिन बोलती रहती है और गुस्सा करती रह्ती है। इसिलिये कुत्ता भी रोज भाग जाता है। हमे आज तक पता नही चल रहा था की ये रोज कहा भाग जाता है। दरअसल कुत्ते की नीन्द पुरी नही हो रही थी इसिलिये शायद ये रोज आप के घर आकर सो जाता लगता है।“

यहा तक जो लिखा था वो तो समज मे आ गया लेकिन आगे जो लाइन लिखी थी वो पढकर तो कुत्ते को मजबुरन हमे बाहर ही निकालना पडा....आगे लिखा था....’भाइ साहब आप बुरा न माने तो मै भी रोज कुत्ते के साथ आप के घर सोने आ जाया करु ? मेरी नीन्द भी पुरी हो जायेगी ?”

इस चिठ्ठी मैने रींकी को दिखाइ और बताया,”अभी भी सोच ले....शादी ब्याह का चक्कर छोड दे।“

तो साला मुज पर ही भडका की.”तो तुने क्यु की?”

अब हम सब दोस्त ने अच्छे भाषा मे बहुत समजाया लेकिन नही माना। आखिर अचानक हम सब दोस्त उस के घर से खडे हुवे तो उस ने पुछ लिया,”अबे ओये अचानक कहा जा रहे हो?”

हम सब ने एक दुसरे की ओर देखा और फिर हिम्मत कर के मैने बोल दिया,”भाइ हम सब होमवर्क करने जा रहे है।“

”होमवर्क” का अर्थ रींकी ने वो पढनेवाला ही होमवर्क समजा और हमे जाने दिया। फिर हम बाकी के दोस्त आपस मे बाते करते करते जाने लगे। मैने मेरे दोस्त रवि को पुछा,”तेरी मेरेज एनिवर्सरी कब है?” (ये वही रवि है जिस की बारात मैने लेखनी पर निकाली थी....) अगर न पढी हो तो पढ लेना लिंक दे रहा हु... ”रवि की बारात”

बेचारा वो भी भोलाभाला बोल उठा,”एक्चुअली क्या है? बुरा समय मुजे याद नही रहता। फिर भी बर्तन पर जरुर लिखी होगी। आज रात को देखकर बताउंगा।“ (मतलब आज उस के बर्तन मांजने की बारी थी)। हम बाकी के दोस्त उस के उपर बहुत हसे। फिर वो गुस्सा हो गया तो उसे शांत किया और फिर मैने भी मन मे गाठ बांध ली की आज से दुसरो के चक्कर मे कौन पडे...मै भी सुबह से कपडे सुखाना भुल गया था। (हसो..हसो...मेरी हालत पर....जैसे आप सब दुध के धुले हो न....) वैसे हम सब दोस्तो ने एक बार सही मे मंदिर मे जाकर प्रार्थना जरुर की थी ‘हे भगवान अब सरकार को सद्दबुध्धी जरुर देना की लोक डाउन ना डाले....क्युकी पिछले तीन लोकडाउन मे घर का सारा होमवर्क हमे सिखा दिया गया है।‘

खैर रींकी फिर से जुट गया। एक और रिश्ता आया रींकी के लिये। पता नही क्या हुवा लेकिन रींकी के पिताजी ने रींकी को बोला,”मेहमानो के लिये कुछ ले आओ।“ भाइसाहब मेहमानो के लिये रिक्शा ले आया...चले गये मेहमान। (बताया न की बुध्धी कुछ ज्यादा ही थी रींकी मे..)।

वैसे रींकी का खानदान भी अच्छा खासा है। फिर भी दो चार बाते बता देता हु। हुवा ये था की एक दिन रींकी की माताजी अपने मायके गइ हुइ थी और रींकी, वगैरह सब स्कुल कोलेज मे थे और उन के पिताजी अकेले घर मे थे। उतने मे एक भंगारवाला आया।

“कोइ भंगार हो तो दे दो”।

अब रींकी की माताजी हमेशा उस भंगारवाले को ही भंगार देती थी। इसिलिये वो वही घर पर रुक कर तीन चार बार बोला,”भंगार दे दो।“

रींकी के पिताजी ने बाहर आकर बोला,”भाइ, वो घर मे नही है तुम जब वो आये तब आना।“

तो भंगारवाला बोला,”बहनजी नही है?”

”हा भाइ नही है वो अपने मायके गइ है”

”साहब, कितने दिन हो गये बहनजी को मायके गये हुवे?” भंगारवाले ने कुछ सोचकर पुछा।

”कुछ 10-12 दिन हो गये” रींकी के पिताजी ने जवाब दिया।,”लेकिन तुम पुछ क्यु रहे हो?”

कुछ पल भंगारवाले ने रींकी के पिताजी के सामने देखा और धीरे से बोला,”तो खाली बोटल होगी वो दे दीजीये।“

गुस्से से देखते हुवे रींकी के पिताजी ने बोला,”तुम्हे मै पीनेवाला दिखता हु ?”

गुस्सा देखकर भंगारवाला चलता बना लेकिन जाते जाते बोलता गया,”वैसे कोइ भी आप को देखकर बोल सकता है की आप पीनेवालो मे से हो।“

फिर तो भंगारवाले को अपनी गाडी (मतलब लारी) स्पोर्ट्स बाइक की तरह भगानी पडी।

रींकी के एक अंकल भी है वो और आंटी दोनो एक मोल पर गये थे। आंटी ने एक बीस्किट का पेकेट चुरा लिया। अब सीसीटीवी केमेरा मे आ गया तो पकडे गये। पुलिस पकड के ले गइ। पुलिस ने डराने के लिये कहा,”कितने बिस्किट चुराये है?”

मोलवाले ने कहा,”साहब बीस्किट के पेकेट मे 10 बीस्किट थे।“

पुलिसवाला,”तो 10 महिने की जेल हो सकती है?”

इतने मे तो अंकल ने आगे आकर बोला,”साहब मुरमुरे का पेकेट भी साथ मे था, आप बोलो तो गीन ले कितने मुर्मुरे है ?” (अब सोचो कितना खौफ होगा पत्नीयो का।)

रींकी के मौसी और मौसा की भी कुछ अलग कहानी है। ये मौसाजी पीनेवालो मे से है। एक दिन क्या हुवा मौसी जी मायके गइ हुइ थी और उसे पता था की पीछे से मौसा शांत रहेंगे नही। इसिलिये दो दिन के बाद फोन किया,”कहा पर हो?”

मौसाजी बोले,”अरे डार्लिंग घर पर ही हु।“

”अगर घर पर हो तो किचन मे जाओ और मिक्श्चर शुरु करो।“

अब खौफ था न, मौसाजी मजबुरन किचन मे गये और मिक्श्चर शुरु किया...घर..र..र... आवाज सुनकर मौसी ने फोन रख लिया। ऐसा पुरे 21 दिन चला। रोज वो फोर करती और ये रोज मिक्श्चर की आवाज सुनाते।

22 वे दिन आसमान से माताजी जी प्रकट हुए। (मतलब मौसी) अब उस दिन रींकी वही पर था। मौसी ने सामान रखा और सीधा रींकी को ही पुछा,”तुम्हारे मौसा कीधर है?” (ये देखो....मौसी भी रींकी की बुध्धी जानती थी इसिलिये डायरेक्ट उन को ही पुछा)

भोला भाला रींकी ने जवाब दीया,”मौसा तो उसी दिन मिक्श्चर लेकर कही चले गये है जिस दिन से आप गइ हो।“ बस खेल खतम। फिर तो उस दिन चंडी मा का स्वरुप प्रकट होके ही रहा।

एक दिन मौसाजी ने मौसी जी को फोन मे मेसेज किया,”तुम ही मेरी प्रेरणा हो। तुम ही मेरा जीवन हो। तुम ही सुबह तुम ही शाम, तेरे बगैर सब सुमशाम। मेरा जीवन कोरा कागज तेरे बीना सुना आंगन।

मौसी जी ने तुरंत मेसेज किया,”अब चार पेग खत्म हो गये हो तो घर वापस आ जाओ कुछ नही कहुंगी।

मौसा ने तुरंत मेसेज दिया,”तो दरवाजा खोल बाहर ही खडा हु।“

फिर तो उस दिन महाभारत हो के ही रहा।

ये मौसाजी के बेटे यानी रींकी का कझिन ब्रधर की शादी हुइ थी और उन की बीवी मायके चली गइ थी नाराज होकर। रींकी का कझिन हर दिन दोपहर खाना खाने बैठता और अपनी सास को फोन लगाता और पुछता,”कहिये सासु मा कब भेज रहे हो अपनी बेटी को वापस।“

और फिर उधर से सासुमा गालीयो की बौछार लगाती,”कितनी बार बोले मेरी बेटी उधर वापस नही आनेवाली, दुसरी बार फोन किया तो टांगे तुडवा देंगे।“

इतना सुन ने के बाद वो फोन रख देता। ऐसा 21 दिन तक चला। एक दिन सासुमा थक गइ और अपने पति को फोन दिया की ये देखो दामाद रोज फोन कर के परेशान कर रहा है। 22 वे दिन ससुरजी ने फोन उठाया और बोले,”क्या दामाद जी, काहे अपनी सास को परेशान कर रहे हो? (वैसे उसे भी मालुम था की अपनी प्रोडक्ट कैसी तुफानी है....इसिलिये शांती से बात करना ही उचित समजा था)। क्यु बार बार पुछ रहे हो की हम बेटी को वापस कब भेजेंगे कब भेजेंगे। आप की सास ने बोल दिया न की वापस नही भेजनेवाले।“

इधर से रींकी के कझिन ने बोला,”वो क्या है ससुरजी, जब खाने पे बैठता हु और सास को फोन करता हु और जब वो बोलती है न की वापस नही भेजेंगे...क......म से इतना सुकुन मिलता है न इतना सुनकर की, फिर आराम से खाना खा लेता हु।“ (सोचो कितना जेला होगा बेचारे ने)।

एक दिन ये कझिन चुप चाप घर के दरवाजे पर बैठा हुवा था...हम सब दोस्त उधर चले गये और गलती से मैने उसे पुछ लिया,”भाइ क्यु उदास बैठे हो?”

कझिन ने उत्तर दिया,”बीवी भाग गइ है?”

हम सब के मुह से नीकल गया,”हे ?”

मैने कहा,”लेकिन भाभी तो मायके गइ है ना, भाग कहा गइ है ?

कझिन ने जवाब दिया,”अरे बाजु वाली की बीवी भाग गइ है।“ (लो बोलो पडौसी की बीवी भागी और दुख इसे हो गया)

रींकी का पुरा घर एक बार फिल्म देखने गया। फिल्म मे पहली 15 मिनिट मे ही हीरो और हीरोइन की शादी हो गइ तो रींकी के पिताजी उठ खडे हुवे और बोले,”चलो अब इस फिल्म मे कुछ नही होगा सिर्फ दिमाग का दही होगा।“ मतलब शादी हो गइ तो किस्सा खत्म।

एक दिन एक कुत्ता रींकी के घर आकर बाहर खडा रहा। रींकी के पिताजी ने अन्दर आवाज लगाइ,”अरे रोटी ले आओ तो कुत्ता आया हुवा है।“

अंदर से आवाज आइ,”रोटी खत्म हो गइ है।“

”तो एक लकडी लाओ। कुत्ता कुछ खाने बीना नही जाना चाहिये।“ पिताजी गर्व से बोल उठे।

एक बार रींकी के पिता और मा दोनो घुमने गये। एक तालाब के पास एक युवान था उस ने रींकी के पिताजी को रोका और कहा,”सर जी मै मेडम का चित्र बना सकता हु। आप एक बार मेरी कला को देखिये। केवल 200 रुपये मे ऐसा चित्र बनाउंगा की जैसे मेडम चित्र मे बोलती हो ऐसा दिखेगा।“

रींकी के पिताजी कुछ देर खडे रहे और फिर बोले,”मै तुम्हे 500 दुंगा लेकिन तु मेडम का गुंगा चित्र बना दो।“ (कम से कम उस चित्र को देखकर मै कुछ समय तो सुकुन से बीता सकता हु)

एक दिन मै रींकी के घर चला गया तो बहुत सी पडौस की औरते बैठी हुइ थी घर के बाहर आंगन मे। मैने कहा,”नमस्ते आंटी जी।“

रींकी की मा ने भी नमस्ते किया और फिर मेरी मति भ्रष्ट हो गइ थी की आगे पुछा,”आंटीजी आज सब लोग क्यु चुप चुप बैठे हुवे हो?”

रींकी की मा ने जवाब दिया,”आज महोल्ले की सारी औरते हाजिर है तो किस के बारे मे बाते करे ?” (लो कर लो बात...मतलब स्त्री मंडल केवल चुगली करने ही बैठता था। उस दिन सब हाजिर थी तो चुप थी सब की सब)

हम सब दोस्त एक दिन मोल मे चले गये। अब हुवा यु की मैने कुछ 1 हजार की खरीदी कर ली और फिर देखा तो पाकिट घर भुल आया था। अब दोस्त साथ मे थे तो मैने बताया की भाइ पाकिट घर भुल आया हु कोइ मदद कर दो। रवि और बाकी दोस्तो ने भी खरीद किया था तो पैसे बचे नही थे। अब बचा ये रींकी।

मैने उस की ओर देखा तो रींकी बोला,”अरे समय पर काम न आये वो दोस्त कहा? ले ये 20 रुपया और घर जाकर पाकिट ले आ।“ (अब सोचो मेरा क्या हाल हुवा होगा? मार तो सकता नही था उसे, गाली भी नही दे सकता था)। बडी मुश्किल से खरीदा हुवा माल बडी बे-इज्जती के साथ वही छोडना पडा।

पैसे तो रींकी बडी मुश्किल से खर्च करता था। हर वक़्त हम मे से कोइ ही पैसे चुकाता था। एक दिन तो हम सब दोस्त ने उसे बडी खरी खोटी सुनाइ की तुम हर वक्त पैसे ही नही निकालते हो, आज तो तुम ही नाश्ता कराओगे।

रींकी तुरंत गया और चार दोस्तो के बीच एक मुंग की दाल का पाउच लेकर आया। फिर क्या था सामुहिक धुलाइ कर दी गइ उस दिन तो।

ये था रींकी का खानदान। ये रींकी की शादी तो हो गइ लेकिन कैसे हुइ। शादी के पहले और बाद मे क्या हुवा? वो अगले पार्ट मे...वो क्या है की आज चाय खुद बनाइ थी...आप लोग चाय पिओ और मजे लुटो....मै चलता हु....आज डीनर बनाने की मेरी बारी है। चलता हु....(हसो मत)

# नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022 (पोस्ट 8)

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12 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Jun-2022 11:13 AM

बहुत खूबसूरत

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PHOENIX

06-Jun-2022 11:22 AM

Thank you.

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Raziya bano

06-Jun-2022 06:29 AM

Bahut sundar rachna

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PHOENIX

06-Jun-2022 11:22 AM

Thank you.

Reply

pk123

05-Jun-2022 09:55 AM

Rakesh ko rinki... 🤣🤣

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PHOENIX

05-Jun-2022 12:42 PM

😄😃yes generally we used to say pet name. Thank you bro.

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